एक नवविवाहित युगल जब अपनी जिंदगी शुरू करता है तो शुरुआती समय में यह सोचता है कि हम अपना परिवार थोड़ा रुक कर बढ़ायेंगे। पर इनमें से कुछ दंपति ऐसे होते हैं जो जब अपने परिवार का विस्तार करना चाहते और बच्चे की चाह करने लगते हैं तो उन्हें दिक्कत आने लगती है।
इन दंपतियों को तब समझ नहीं आता कि इलाज की शुरुआत कैसे करनी चाहिए या कौन सा समय महीने में गर्भ रुकने के लिए सही समय होता है।
उन सभी दंपतियों को महिलाओं की महावारी के चक्र को समझना अति आवश्यक है क्योंकि संभोग के लिए सही समय का चयन ही गर्भ रुकने का मूल मंत्र है।
एक महिला के मासिक चक्र को दो भागों में बांटा जा सकता है और यह विभाजन करता है ओवुलेशन (ovulation) यानी कि अंडे (इस्त्री बीज़) का बनना।
पहले भाग को (follicular )
फॉलिक्यूलर फेज और दूसरे को (luteal) लूटीयल फेज कहते हैं।
महिलायों में मासिक चक्र की शुरुआत माहवारी के पहले दिन से अगली माहवारी के पहले दिन तक गिननी चाहिए। माहवारी के पहले दिन से लेकर अगली माहवारी के पहले दिन तक एक मासिक चक्र पूरा होता है। औसतन यह मासिक चक्र 28 दिन का होता है लेकिन 21 से 35 दिन का मासिक चक्र भी नॉर्मल माना जाता है। 21 दिन से कम या 35 दिन से ज्यादा का मासिक चक्र अनियमित माहवारी की श्रेणी में आता है ।
माहवारी का दूसरा भाग जिसे की लुटीयल फेज़ कहते हैं वह हमेशा 14 दिन का होता है और पहला भाग जिसे फॉलीक्युलर फेज़ कहा जाता है वह 14 दिन से कम या अधिक भी हो सकती है। मतलब यह कि किसी महिला की महावारी चाहे 22 दिन की हो या 35 दिन की हो उसका लूटियल फेज़ 14 दिन का ही होता है जबकि फॉलिक्यूलर फेस 8 दिन से लेकर 21 दिन तक का हो सकता है।
फॉलिक्यूलर फेज का आरंभ होता है माहवारी के पहले दिन से और इसका अंत होता है ओवुलेशन के समय जो लगभग 14वें दिन होता है 28 दिन के मासिक चक्र में । इस दौरान हमारी पिट्यूटरी ग्रंथि दो प्रकार के हारमोंस निकालती है FSH and LH जिनका काम होता है अंडो का चयन करना और उनको बढ़ाना। एक माहवारी में जो अंडा पूरी तरह से पकता है वह एक हार्मोन निकालता है जिसे एस्ट्रोजन (estrogen) कहा जाता है।
यह एस्ट्रोजन हार्मोन बच्चेदानी की परत पर काम करता है और उसे बच्चा रुकने के लिए तैयार करता है।
इस हार्मोन (estrogen) की पर्याप्त मात्रा एलएच (LH) की मात्रा को बहुत तेजी से बढ़ाती है जिसे LH सर्ज कहा जाता है और उससे ही पका हुआ अंडा फूट जाता है और नलियों में याने कि फैलोपियन ट्यूब में चला जाता है।
लुटीयल(Luteal phase) फेज शुरू होता है ओवुलेशन से लेकर अगली माहवारी शुरू होने तक। यह फेज लगभग हर महिला का एक जैसा रहता है 14 दिन का। जो अंडा फूट जाता है वह एक हार्मोन निकालने लगता है प्रोजेस्ट्रॉन नामक और उस टूटे अंडे को कॉरपस लुटियम कहा जाता है।
अंडा फूटने के बाद केवल 12 से 24 घंटे तक जीवित रहता है। अगर उसी समय शुक्राणु मिले तो वह भ्रूण बन जाता है नहीं तो वह अंडा निष्क्रिय हो जाता है जबकि शुक्राणु अंदर कई दिन तक जीवित रह सकते हैं ।
गर्भ रुकने की सबसे अच्छी संभावना ओवुलेशन के एक-दो दिन पहले से लेकर ओवुलेशन के दिन तक मानी गई है। ओवुलेशन के समय का पेशाब की जांच से पता लगाया जा सकता है। ओवुलेशन के बाद शरीर का तापमान भी 0.5 डिग्री तक बढ़ जाता है और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन का खून की जांच करके भी ovulation का पता कर सकते हैं।
जैसे ही अंडा अंडाशय से निकलता है वह ट्यूब में चला जाता है और ट्यूब में ही अंडा शुक्राणु से मिलकर भ्रूण तैयार करता है। यह भ्रूण ट्यूब से चलकर 5 से 6 दिनों मैं गर्भशाय तक आ जाता है और वही जड़ जमा कर आगे बढ़ना शुरू होता है जिसे इंप्लांटेशन कहते हैं।
यही भ्रूण आगे बढ़कर बच्चे की तरह विकसित होता जाता है और प्रसव के बाद जन्म लेकर अपने माँ और पिता की जिंदगी में खुशियां बिखेर देता है।